ईमान से कहुँ ? या रहने दूँ उसे ? ईमान भी तो सुस्त है, शाँत कहीं, छुपा रहना चाहता है आज थक गया है जिंदा रहना, चलते रहना.... इन सब में ईमान का सीला चेहरा अपनों में अकेला ईमान रोज़मर्रा की छोटी छोटी लड़ाइयों में खुदको सिकोड़ता ईमान ईमान है भी या नही...?... या उसे याद करना था बस...? शायद चल बसा कि एक बार फिर... जो है नहीं, उसका ईमान जहाँ सबसे गहरा है, जिसके नीचे कुछ नहीं उसी की तलाश में.. For a SEHAJ Conversation and to share your unique opinions, Please visit our YouTube Channel Unmukt Anu 😊
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