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Showing posts from January, 2022

चप्पल

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                            हम सब एक दूसरे के गुनाहगार से लगते हैं                             इस तीर्थ के तल में ना जाने कितने कब्रिस्तां हैं वेस्टर्न उत्तर प्रदेश का अनेकों गाँव से घिरा एक नामचीन रेल्वे स्टेशन. स्टेशन पर अच्छी खासी भीड़. इसी भीड़ में बख़्सों के ढेर से घिरा एक परिवार.  ट्रेन आने ही वाली है. सबके चेहरे गर्मी से बेहाल हैं, और इन सब में सबसे ज्यादा बेहाल हैं घर के मुखिया, पिता.... शुक्र है कि इनके चारों बच्चे साथ नहीं हैं.. अभी तो तीन के लिए ही ट्रेन में सीट मिल जाए तो गनीमत है.. दो बहनें और करीब तीन बरस का छोटा भाई. मम्मी ने भाई को गोद में लिया हुआ है.. दूसरे हाथ में अटैची है. छोटी ने बड़ी का हाथ कसके थामा है, उसके चेहरे पर डर के भाव हैं, शायद भीड़ से डरती है या फिर तेज़ी से नज़दीक आती ट्रेन से.. या फिर दोनों से..  बड़ी के एक हाथ में सामान है. जैसे ही ट्रेन आकर रुकती है आबादी उग्र होकर एक दूसरे को धक्का देते हुई ट्रेन पर लपकती है. भीड़ का डरावना तांडव है. पापा तेज़ी में सारे बक्से ट्रेन में चढ़ाकर पूरे परिवार को ट्रेन में चढ़ाते हैं. इसी बीच धक्का मुक्की में ट्रेन पर चढ़

Lord

Set me shapeless Heartless, effortless  A spoke being spaceless Make me a zero Startless and endless Look through my void To empty yourself Be a transparent soul Normless, Harmless